बड़ी सफलता की कथाएं सिर्फ बड़े शहरों से नहीं उपजती हैं। गुजरात के एक छोटे शहर वड़ोदरा से एक कॉफ़ी शॉप से जो एक साधारण सी शुरुआत साल 2008 में हुई थी, वही आज पूरे 110 आउटलेट वाली एक विशाल और मशहूर शृंखला में तब्दील हो गई है। इन आउटलेट्स में 50 कैफ़े और 60 स्नैक्स बार हैं और ये देश के लगभग पचास शहरों में फैले हुए हैं। जी हाँ, आज हम बात कर रहे हैं ब्रूबेरीज के सह-संस्थापक एवम निर्देशक, अंकुर गुप्ता और रौनक कपाटेल की।

दोनों ही दोस्तों ने राजकोट स्थित विवेकानंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ होटल एंड टूरिज्म मैनैजमेंट से होटल मैनेजमेंट में स्नातक की डिग्री ली। इस जोड़ी ने अपनी बिज़नेस की नई रणनीति के द्वारा देश की सबसे तेजी से बढ़ने वाली कॉफ़ी-चेन की शुरुआत की। ब्रुबेरीज के मुनाफे के साथ-साथ ग्राहकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। बारह लाख की शुरूआती लागत से शुरू होकर आज इसका टर्न-ओवर 8.3 करोड़ का हो गया है।

सबसे पहला ब्रूबेरीज का कैफ़े वड़ोदरा के बाहरी इलाके में मकरपुरा रोड पर खोला गया था। यहाँ पर ग्राहकों के लिए ताज़ा कॉफ़ी के साथ-साथ स्नैक्स, बुक्स, बोर्ड गेम्स और वाईफाई की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अंकुर और रौनक कॉलेज के दिनों से दोस्त हैं। रौनक को जहाँ फ़ूड प्रोडक्शन विभाग यानि किचन पसंद है वहीँ अंकुर को सर्विस डिपार्टमेंट पसंद है।

पूर्व राष्ट्रीय स्तर के बेसबॉल खिलाड़ी अंकुर के मन में पहले से ही एक सोच थी कुछ करने की और उनके इसी उत्साह ने एक नए स्टार्ट-अप की शुरुआत की। पहले इन्होंने अपने माता-पिता को इसके लिए राज़ी किया फिर अपने दोस्त रौनक से अपने इस सपने को साझा किया। कॉलेज के चौथे साल में ही इन्होंने कॉफ़ी के बिज़नेस के लिए काम करना शुरू कर दिया था।

पढ़ाई पूरी करने के बाद 2005 में अंकुर ने कैफ़े कॉफ़ी डे में प्रैक्टिस किया और रौनक ने मेर्रियट बाल्टिमोर, अमेरिका में काम किया और साथ-ही -साथ स्टारबक कीओस्क में भी काम किया। अंकुर ने हयात होटल में ट्रेनी का काम करते हुए अपने पैसे बचाये और रौनक ने भी अमेरिका के मर्रियट चेसहंट में काम कर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाया। दोनों ने अपनी इन बचाये हुए रक़म और कुछ अपने परिवार से लिए पैसों कुल बारह लाख के लागत से अपना बिज़नेस शुरू किया।

पूंजी की कमी के बावजूद अंकुर ने इसे बढ़ाने की सोची और 2009 में इसकी एक फ्रैंचाइज़ी शुरू किया। पहली फ्रैंचाइज़ आउटलेट उन्होंने जयपुर में शुरू की और इसके तुरंत  बाद सूरत और अहमदाबाद में। 2010 तक उनके 25 फ्रैंचाइज़ी आउटलेट देश के 25 शहरों में खुल चुके थे।

और एक दिन, एक अचानक आये और अप्रत्याशित फ़ोन ने इन्हें एक बड़े पैमाने पर काम करने का अवसर दिला दिया।यह फ़ोन टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज से आया था जिसमें पासपोर्ट सेवा केन्द्र (PSKs) और TCS ने मिलकर ब्रूबेरीज को कैफ़े में साझेदार बनाने के लिए अवसर दिया था। TCS ने ब्रूबेरीज को PSKs के अंदर जगह दिलाई जिसका किराया ब्रूबेरीज को देना था। और उन्होंने 63 कैफ़े देश के 50 शहरों में केवल चार महीने के अंदर ही खोल दिया। एक ही वर्ष में इनका टर्न-ओवर 75 लाख से बढ़कर 4.5 करोड़ हो गया। कॉफ़ी बोर्ड ऑफ़ इंडिया ने यह माना की यह दूसरी ऐसी कॉफ़ी चेन है जो सबसे तेजी से बढ़ने वाली है। 2015 -2016 में इनका टर्न-ओवर 8.3 करोड़ हो गया।

ब्रूबेरीज ने हैदराबाद मेट्रो में 20 आउटलेट खोलने के लिए करार किया है और सात आउटलेट सूरत के पास स्थित हाजिरा के एस्सार टाउनशिप में और जामनगर में भी खोलने वाले हैं। ब्रूबेरीज ने केक स्टूडियो भी खोला है जिसके द्वारा देश के 50 शहरों में कही से भी केक आर्डर करने पर वहाँ तक केक भेजा जाता है।

कॉफ़ी और केक का इतना अच्छा संगम हमें ब्रूबेरीज में ही मिलता है। ग्राहकों की सच्ची सेवा ही इस बिज़नेस का आधार है।

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