बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स, लैरी एलिसन, ऐसे बहुत से नाम हैं जिन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर अपना खुद का मक़ाम बनाया है। हमारे देश में भी ऐसी बहुत सी कहानियां हैं जिसमें पढ़ाई छोड़कर लोगों ने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं उनमें से एक हैं दीपक रविंद्रन, जिन्होंने ख़ुद के बूते अपना नाम उन बड़े लोगों के साथ शामिल किया है। |
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि महज़ 17 साल की उम्र में उन्होंने एक वेब डिजाइन कंपनी खोली। 19 वर्ष में उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज छोड़कर भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के एक्सेलरेटर प्रोग्राम में हिस्सा लिया और वे यहाँ चुन लिए गए। 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने ऑफलाइन सर्च इंजन की शुरुआत की, जिसे SMS ज्ञान का नाम दिया। इसके द्वारा 120 लाख लोगों को किसी भी सवाल का जवाब तुरंत ही दिया जाता है। इंटरनेट के बिना भी उनके मोबाइल फ़ोन पर जवाब प्राप्त होते हैं।
दक्षिण भारत में केरल के एक पुराने शहर त्रिस्सुर में दीपक का बचपन बीता। उन्होंने मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों की प्रतियोगिता परीक्षा में अपना स्थान सुरक्षित किया। पर उन्हें कंप्यूटर साइंस ज्यादा पसंद थ, इसलिए उन्होंने इंजीनियरिंग को चुना।
दीपक ने कन्नूर यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में अपनी पढ़ाई शुरू की। 2009 में उन्होंने कॉलेज छोड़कर अपने तीन दोस्तों हिसाम, आश्विन और अभिनव के साथ मिलकर इनूज़ नाम की एक कंपनी की स्थापना की। उनके इस स्टार्टअप को आईआईएम-अहमदाबाद के एक्सेलरेटर प्रोग्राम ने चुन लिया और इसके लिए उन्हें अहमदाबाद शिफ्ट करना पड़ा और उन्होंने अपनी कॉलेज लाइफ को अलविदा किया।
दीपक ने अपने अंतिम वर्ष के प्रोजेक्ट में SMS ज्ञान सर्विस को शुरू किया था। SMS ज्ञान सबसे पहले तो पूरे कॉलेज में मशहूर हो गया और फिर जल्द ही पूरे देश में। भारत में इंटरनेट के निम्न स्तर को महसूस कर दीपक ने मोबाइल पर कम लागत में तुरंत सूचना देने वाले एक अनोखे कांसेप्ट सर्विस को लोगों के सामने ले कर आया। सबसे खास बात यह थी कि इस सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए इन्टरनेट की भी कोई आवश्यकता नहीं थी। आज 120 लाख से भी ज्यादा लोग इसका उपयोग कर रहे हैं।
दीपक अपनी सफलता के लिए अपनी जिद पर विश्वास करते हैं। शुरुआत में कई टेलीकॉम कम्पनियाँ ने उनके साथ करार करने को साफ़ मना कर दिया। काफी विफलताओं के बाद उन्हें और उनके दोस्तों को भारती एयरटेल से पहली डील प्राप्त हुई।
वर्तमान में इनूज़ अपने प्रमुख टेक्नोलॉजी-पार्टनर के साथ मिलकर पूरे विश्व में काम कर रही है। इतना ही नहीं इनूज़ रेड-हेरिंग ग्लोबल के 100 में और एशिया के टॉप 100 में शामिल टेक कंपनियों में से एक है। साथ ही साथ नैसकॉम की भारत के टॉप उभरते 8 कंपनियों की लिस्ट में शामिल हुई। इस युवा टीम के काम की तारीफ फ़ोर्ब्स, एमआईटी, द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड, इकनोमिक टाइम्स, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, ब्लूमबर्ग यू टी वी, बिज़नस स्टैण्डर्ड और लगभग 100 से भी अधिक पत्रिकाओं, न्यूज़ पेपर्स और ब्लॉग्स में छप चुकी है।
साल 2014 में वॉइस पर डेटा भारी पड़ने लगा था। दीपक ने इस बदलती स्थिति को भांप कर मैसेजिंग के दो बड़े ट्रेंड्स चैट्स और ऍप्स को मिलाने का फैसला लिया और इसी से लुकअप का जन्म हुआ। वर्तमान में लुकअप 10,000 मैसेज रोज प्राप्त करता है और लगभग सभी के जवाब उनके कॉल सेंटर टीम द्वारा दिया जाता है।
जब सिलिकॉन वैली बीस-एक लोगों के दिमाग से चल सकता है तो हम भी बढ़ती इकॉनॉमी में नव-प्रवर्तन के ज़रिये सफल ब्रांड्स पैदा क्यूं नहीं कर सकते?
यह युवा उद्यमी जोखिम उठाने पर विश्वास करता है। दीपक रवीन्द्रन की यह उद्यमी यात्रा प्रेरणादायक और अद्भुत है। नए उभरते उद्यमी के लिए सचमुझ यह एक प्रेरणास्रोत है।
आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें
0 Comments