कई कुख़्यात डकैतों से लेकर विकास दुबे के एनकाउंटर तक, इसी दबंग IPS के नेतृत्व में हुआ ऑपरेशन

इनका नाम है अमिताभ यश। फिलहाल वर्तमान में अमिताभ पुलिस महानिरीक्षक (रेलवे) के पद पर कार्यरत है। अमिताभ मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। पटना के सेंट मिशेल हाईस्कूल से उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई की। हाईस्कूल करने के बाद वे दिल्ली चले गये और दिल्ली के डीपीएस आर.के पुरम से इंटर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के ही सेंट स्टीफेन कॉलेज से बीएससी आनर्स किया और कानपुर आईआईटी से एमएससी की पढ़ाई पूरी की। यहाँ तक की वहां वे अपने डिपार्टमेंट का टॉपर भी रहे थे। वे चाहते तो टेक्निकल फील्ड भी चुन सकते थे पर उनकी चाहत थी की वे सिविल सर्विसेस ज्वाइन करें। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उनकी मेहनत रंग लायी और उन्होंने परीक्षा पास कर ली।

उसके बाद से अमिताभ उत्तर प्रदेश के कानपुर,बुलंदशहर, बांदा सहित कई ज़िलों की कमान संभल चुके है। वे यूपी के खुँकार से खूँखार अपराधियों को भी ठिकाना लगा चुके हैं। उनका खौफ अपराधियों में ऐसा है कि इनका नाम सुनते ही उनके पसीने छुटने लगते हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश पुलिस में रहते हुए अमिताभ की छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की थी और अपराधी उनसे थर-थर काँपते थे। अमिताभ का अपराधियों के साथ एक ही सिद्धांत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। एक वरीय पुलिस अधिकारी होने के बावजूद अमिताभ को कठिन से कठिन ऑपरेशन को लीड करना पसंद था।उन्होंने अपने सेवाकाल में करीब आधी अवधि वे स्पेशल टास्क फोर्स में रहे।

स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) में रहते हुए उन्होंने अपराधियों के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्होंने खुद तीन दर्जन यानि 36 से अधिक अपराधियों को मार गिराया था। इसमें कुख्यात अपराधीयों जैसे ददुआ, ठोकिया और निर्भय गुर्जर आदि का एनकाउंटर भी शामिल है। इसके बाद लोग अमिताभ बच्चन की तर्ज़ पर, अमिताभ यश को भी पुलिस विभाग का “एंग्री यंग मैन” बुलाने लगे थे। अमिताभ यश के बारे में कहा जाता है कि वह जिस जिले में तैनाती पाते हैं, वहां से अपराधी या तो बेल तुड़वाकर जेल चले जाते हैं या फिर जिला छोड़ देते हैं।

जब वे बुदेलखण्ड में थे तो उनके साथ काम करने वाली टीमों ने लगभग 18 गैंग का सफाया किया था।और फिरौती हेतु अपहरण करने वाले लगभग 100 से ज्य़ादा अपराधियों को मार भी गिराया था। बतौर एसटीएफ के एसएसपी उनके सवा दो साल के कार्यकाल में 65 से ज्य़ादा अपराधियों का सफाया किया गया था। 2007 को चित्रकुट, बांदा में दहशत का पर्याय बने ददुआ का एनकांउन्टर भी बहुत चर्चित रहा। एसटीएफ की टीम नें ऑपरेशन के लिए चंबल पहुँच गयी थी और टीम की कमान संभाल रखी थी उत्तर प्रदेश के जांबाज आईपीएस अमिताभ यश ने।अमिताभ यश 24 कमांडोज की टीम लेकर जंगलों की तरफ निकल पड़े और उन्होंने जंगल में 50 किलोमीटर पैदल चलकर ऑपरेशन को अंजाम दिया था।

अमिताभ को मुख्यमंत्री उत्कृष्ट सेवा मेडल से भी नवाजा जा चुका है और दो बार तीन-तीन लाख रुपए के नगद पुरस्कार भी मिल चुका हैं।

अपडेट: वर्तमान में अमिताभ उत्तर प्रदेश पुलिस के एसटीएफ के आईजी पद पर आसीन हैं। हाल ही में कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर के पूरे ऑपरेशन को उन्होंने ही हैंडल किया था। उनकी ही टीम उज्जैन से विकास को कानपुर लेकर आ रही थी।


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