हम बात कर रहे हैं पहली कश्मीरी मुस्लिम महिला रुवैदा सलाम की जिन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास कर एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कश्मीर घाटी का ज़िम्मा अपने कंधे पर लिया।
धरती का स्वर्ग जम्मू-कश्मीर की रहने वाली रुवैदा ने सफलता की बुलंदियों को छूकर एक नया इतिहास लिखा है। रुवैदा की सफलता बहुत ही आश्चर्यजनक और प्रेरणादायक है वो पहली कश्मीरी मुस्लिम लड़की है जिन्होंने पहले MBBS फिर IPS और अब IAS परीक्षा पास कर एक मिसाल कायम की है।
रुवैदा ने यूपीएससी परीक्षा पास कर कुल 998 सफल होने वाले परीक्षार्थियों में 820वां स्थान प्राप्त करते हुए भारत की पहली मुस्लिम लड़की के रूप में सिविल सेवा परीक्षा पास करने का गौरव हासिल की। इससे पहले रुवैदा ने साल 2009 में मेडिकल की पढ़ाई करते हुए श्रीनगर से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद उन्होंने श्रीनगर से ही संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए आवेदन भरा और परीक्षा में सफलता अर्जित करते हुए 24वां स्थान प्राप्त किया।
रुवैदा जम्मू के कुपवाड़ा की रहने वाली हैं और हाल ही में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में भी सफलता की कहानी लिखते हुए अपना आईएएस बनने का सपना साकार कर लिया है। लेकिन उन्हें यह सफलता रातों रात नहीं मिली, उनकी इस सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और लगन की कहानी छुपी हुई है।
जब लड़कियां मुझे वर्दी में देखती हैं तो वे मेरी तरफ प्रशंसा भरी नज़रों से देखती हैं। मुझे खुशी होगी यदि मैं उनके लिए प्रेरणा बनूँ|
LOC (नियंत्रण रेखा) के बेहद संवेदनशील कस्बे कुपवाड़ा में रहने वाली रुवैदा को हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वो कहती हैं कि “भले ही आप श्रीनगर में रह रहे हो लेकिन यहाँ भी आपको हर रोज़ किसी ना किसी मुश्किल का सामना और जब कभी अराजकता के माहौल के चलते परिस्थितियां हमारे नियंत्रण से बाहर होती है तो हमें जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता है और कई बार कर्फ़्यू , अख़बारों पर लगी पाबंदी और अध्ययन सामग्री प्राप्त नहीं होने से पढ़ने वालों को कई तरह की समस्याओं से दो-दो हाथ करने पड़ते हैं। इससे मनोवैज्ञानिक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखता है, हमें चिंता सताती है की आगे क्या होगा”
27 वर्षीय रुवैदा सलाम को अपने आईएएस बनने के सपने को साकार करने के लिए कई मुश्किल दौर और संघर्षों से गुजरना पड़ा। जब उन्होंने पहले एमबीबीएस की परीक्षा पास की तो उस समय उनके माता-पिता और रिश्तेदारों ने उनके ऊपर शादी करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया लेकिन उसने सभी को दरकिनार करते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया और अपनी मेहनत और लगन के साथ अपने बुलंद हौसलों के दम पर कामयाबी हासिल की और कश्मीर घाटी का नाम रोशन किया।
रुवैदा की सफलता के पीछे उनके परिवार का बहुत बड़ा हाथ है उनके पिता ने अपनी बेटी की प्रतिभा को हमेशा सराहा और उन्हें प्रोत्साहित किया। साथ ही अपनी बेटी को अहसास करवाया कि वो पुरुषों की तुलना में कही गुना अधिक सशक्त है।
रुवैदा के पिता का नाम सलामुद्दीन बजद है जो कि दूरदर्शन के उप-निदेशक के पद से कुछ समय पूर्व ही सेवानिवृत्त हुए हैं। वो कुपवाड़ा में हर समय हो रही आतंकवादी गतिविधियों से बचने के लिए वहां से श्रीनगर आ गए। अपनी बेटी की इस सफलता पर पिता सलामुद्दीन कहते हैं कि “मुझे अपनी बेटी पर बहुत गर्व है, उसने परिवार के साथ-साथ राज्य का नाम भी रौशन किया है साथ ही महिलाओं को नयी दिशा प्रदान की हैं। मैं काफ़ी सम्मानित महसूस करता हूँ की वह हमारे समुदाय की पहली ऐसी लड़की है, जो हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं।”
बीते कुछ सालों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो कश्मीर घाटी के युवाओं का सरकारी नौकरियों के प्रति काफी रुझान में तेज़ी देखने को मिली है। कश्मीरी युवाओं का ख़ासकर लड़कियों के हौसले बुलंद करने में रुवैदा सलाम की सफलता मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही इस बात में भी कोई दोराय नहीं की कश्मीर घाटी के अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि वहाँ के युवाओं ने अब परिवर्तन का बिगुल बजा दी है।
हम सलाम करते हैं रुवैदा सलाम की प्रतिभा को जो कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं में नयी ऊर्जा का संचार कर रही हैं।
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